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बाबरी मस्जिद का काला सच 

बड़ी खबर आई 

6 दिसंबर काला दिवस

 बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528 ई. (935 हिजरी) में मुगल बादशाह ज़हीरुद्दीन मोहम्मद बाबर के हुक्म पर उनके सिपहसालार मीर बाकी ने अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत में करवाया। यह मस्जिद मुग़ल फन-ए-तामीर (वास्तुकला) का बेहतरीन नमूना थी, जिसमें तीन गुंबद शामिल थे।

1949 में एक विवादित घटना हुई, जब 22-23 दिसंबर की रात को बाबरी मस्जिद के भीतर राम की मूर्तियां रख दी गईं। इससे मस्जिद को बंद कर दिया गया और मामले ने अदालत का रुख किया। इसके बाद, 1980 और 1990 के दशकों में इस विवाद को लेकर राजनीति तेज हो गई और विभिन्न हिंदू संगठनों ने बाबरी मस्जिद को गिराने के लिए अभियान चलाया।

6 दिसंबर 1992 को हिंदू कट्टरपंथी संगठनों के समर्थकों की एक बड़ी भीड़ ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। इस घटना ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर दंगे और सांप्रदायिक हिंसा को जन्म दिया, जिसमें हजारों लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए। बाबरी मस्जिद के विध्वंस ने भारतीय समाज में धर्म, राजनीति और न्याय व्यवस्था के बीच गंभीर तनाव और विभाजन को उजागर किया।

यह विवाद 2019 में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के साथ समाप्त हुआ, जिसमें अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए 2.77 एकड़ भूमि हिंदू पक्ष को दी गई और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जगह पर 5 एकड़ भूमि आवंटित करने की बात कही गई।। यह फैसला तनाज़े के क़ानूनी पहलू को खत्म करने की कोशिश थी, मगर तारीखी और मुआशरती (सामाजिक) बहसें आज भी जारी हैं।

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